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सोमवार, 2 नवंबर 2015
शायरी
Posted by Maneesh on 5:40 pm with
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ना अमीर हूँ ना गरीब, ना मैं बादशाह ना मैं वजीर हूँ.
तेरा इश्क है मेरी सल्तनत मैं उसी सल्तनत का फकीर हूँ
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ना अमीर हूँ ना गरीब, ना मैं बादशाह ना मैं वजीर हूँ. तेरा इश्क है मेरी सल्तनत मैं उसी सल्तनत का फकीर हूँ
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