अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिछली रुत के साथी, अब के बरस मैं तन्हा हूँ
तेरी गली में सारा दिन, दुख के कंकर चुनता हूँ
मुझ से आँख मिलाये कौन, मैं तेरा आईना हूँ
मेरा दिया जलाये कौन, मैं तेरा ख़ाली कमरा हूँ
तेरे सिवा मुझे पहने कौन, मैं तेरे तन का कपड़ा हूँ
तू जीवन की भरी गली, मैं जंगल का रस्ता हूँ
अपनी लहर है अपना रोग, दरिया हूँ और प्यासा हूँ
आती रुत मुझे रोयेगी, जाती रुत का झोंका हूँ
Amazon
Popular Posts
-
Besabab bat badhane ke zarurat kya hai hum khafa kab the manane ke zarurat kya hai aap ke dam se to duniya ka bharam hai qayam aap jab ha...
-
Mulakat bhi kabhi aansu de jati h... Nzren bhi kbi dhokha de jati h... Gujre hue lamho ko yad krke dekhiye... Tanhai bhi kbi kbi sukoon de j...
-
गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह दिल-लगी में हसरत-ए...
-
इरादे बांधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए.
-
बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर... क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..
Visitors Count
Join Us Here
नासिर काजमी
अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिछली रुत के साथी, अब के बरस मैं तन्हा हूँ
तेरी गली में सारा दिन, दुख के कंकर चुनता हूँ
मुझ से आँख मिलाये कौन, मैं तेरा आईना हूँ
मेरा दिया जलाये कौन, मैं तेरा ख़ाली कमरा हूँ
तेरे सिवा मुझे पहने कौन, मैं तेरे तन का कपड़ा हूँ
तू जीवन की भरी गली, मैं जंगल का रस्ता हूँ
अपनी लहर है अपना रोग, दरिया हूँ और प्यासा हूँ
आती रुत मुझे रोयेगी, जाती रुत का झोंका हूँ
ओ पिछली रुत के साथी, अब के बरस मैं तन्हा हूँ
तेरी गली में सारा दिन, दुख के कंकर चुनता हूँ
मुझ से आँख मिलाये कौन, मैं तेरा आईना हूँ
मेरा दिया जलाये कौन, मैं तेरा ख़ाली कमरा हूँ
तेरे सिवा मुझे पहने कौन, मैं तेरे तन का कपड़ा हूँ
तू जीवन की भरी गली, मैं जंगल का रस्ता हूँ
अपनी लहर है अपना रोग, दरिया हूँ और प्यासा हूँ
आती रुत मुझे रोयेगी, जाती रुत का झोंका हूँ
Blogger द्वारा संचालित.