Sharaab Shayari - शराब शायरी
ग़म इस कदर बढे कि घबरा कर पी गया;
इस दिल की बेबसी पर तरस खा कर पी गया;
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना;
मैं आज सब जहां को ठुकरा कर पी गया!
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यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा;
शराब से...
इश्क की राहों में तन्हा मिली तो;
हमसफ़र बन गई.......
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कुछ तो शराफ़त सीख ले, ऐ इश्क!, शराब से..
बोतल पे लिखा तो है, मै जानलेवा हूँ...
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पर्दा तो होश वालों से किया जाता है ,
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है..!
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पर्दा तो होश वालों से किया जाता है ,
बेनकाब चले आओ हम तो नशे में है..!
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