गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते
मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते
थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह
दिल-लगी में हसरत-ए-दिल कुछ निकल जाती तो है
मेरी किस्मत से जबान-ए-तीर भी गोया नहीं
आप को देखा सर-ए-बाजार हँसते बोलते
वर्ना क्या क्या जखम-ए-दामनदार हँसते बोलते
बैठ कर हम तुम कहीं ए यार हँसते बोलते
आज उज्र-ए-इत्तिका तस्लीम कल तक यार से
बोसे ले लेते हैं हम दो-चार हँसते बोलते
Amazon
Popular Posts
-
रोने दे आज हमको तू आँखें सुजाने दे बाहों में ले ले और ख़ुद को भीग जाने दे हैं जो सीने में क़ैद दरिया वो छूट जायेगा हैं इतना दर्द के तेरा द...
-
कहते हैं की जब कोई किसी को बहुत याद करता हैं तो तारा टूट कर गिरता हैं एक दिन सारा आसमान ख़ाली हो जायेगा ओंर इल्जाम मुझ पर आएगा। *******...
-
ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से, वकीलों से, हक़ीमों से, हसीनों की निगाहों से। -अकबर इलाहाबादी
-
गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह दिल-लगी में हसरत-ए...
-
आप की याद आती रही रात भर आप की याद आती रही रात भर चस्मे-नम मुस्कुराती रही रात भर रात भर दर्द की शमा जलती रही गम की लौ थरथराती रही रात भ...
Visitors Count
Join Us Here
अमीरुल्लाह तस्लीम
गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते
मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते
थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह
दिल-लगी में हसरत-ए-दिल कुछ निकल जाती तो है
मेरी किस्मत से जबान-ए-तीर भी गोया नहीं
आप को देखा सर-ए-बाजार हँसते बोलते
वर्ना क्या क्या जखम-ए-दामनदार हँसते बोलते
बैठ कर हम तुम कहीं ए यार हँसते बोलते
आज उज्र-ए-इत्तिका तस्लीम कल तक यार से
बोसे ले लेते हैं हम दो-चार हँसते बोलते
मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते
थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह
दिल-लगी में हसरत-ए-दिल कुछ निकल जाती तो है
मेरी किस्मत से जबान-ए-तीर भी गोया नहीं
आप को देखा सर-ए-बाजार हँसते बोलते
वर्ना क्या क्या जखम-ए-दामनदार हँसते बोलते
बैठ कर हम तुम कहीं ए यार हँसते बोलते
आज उज्र-ए-इत्तिका तस्लीम कल तक यार से
बोसे ले लेते हैं हम दो-चार हँसते बोलते
Blogger द्वारा संचालित.