Click Here!

शनिवार, 26 सितंबर 2015

समझो गजल हुई

मिली जो किसी से नज़र तो समझो गजल हुई
रहे न अपनी ही खबर तो समझो  गजल  हुइ
मिला के नजरों को वाले हना हया से पी
झुका ले कोइ नजर  तो समजो गजल  हुइ
इधर मचल-कर उन्हें जो पुकारे जूनून  मेरा
  धड़क उठे उधर दिल तो 
उदास बिस्तर की सिलवटेँ जब तुमको  चुभें
न सो सको रात भर तो समझो गजल हुइ
वह बदगुमान हो तो शेर सूझे न शायरी,
वह मेहरबान हो जफ़र तो समझो गजल हुइ
Categories: