मिली जो किसी से नज़र तो समझो गजल हुई
रहे न अपनी ही खबर तो समझो गजल हुइ
मिला के नजरों को वाले हना हया से पी
झुका ले कोइ नजर तो समजो गजल हुइ
इधर मचल-कर उन्हें जो पुकारे जूनून मेरा
धड़क उठे उधर दिल तो
उदास बिस्तर की सिलवटेँ जब तुमको चुभें
न सो सको रात भर तो समझो गजल हुइ
वह बदगुमान हो तो शेर सूझे न शायरी,
वह मेहरबान हो जफ़र तो समझो गजल हुइ
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रोने दे आज हमको तू आँखें सुजाने दे बाहों में ले ले और ख़ुद को भीग जाने दे हैं जो सीने में क़ैद दरिया वो छूट जायेगा हैं इतना दर्द के तेरा द...
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कहते हैं की जब कोई किसी को बहुत याद करता हैं तो तारा टूट कर गिरता हैं एक दिन सारा आसमान ख़ाली हो जायेगा ओंर इल्जाम मुझ पर आएगा। *******...
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ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से, वकीलों से, हक़ीमों से, हसीनों की निगाहों से। -अकबर इलाहाबादी
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गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह दिल-लगी में हसरत-ए...
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आप की याद आती रही रात भर आप की याद आती रही रात भर चस्मे-नम मुस्कुराती रही रात भर रात भर दर्द की शमा जलती रही गम की लौ थरथराती रही रात भ...
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समझो गजल हुई
मिली जो किसी से नज़र तो समझो गजल हुई
रहे न अपनी ही खबर तो समझो गजल हुइ
मिला के नजरों को वाले हना हया से पी
झुका ले कोइ नजर तो समजो गजल हुइ
इधर मचल-कर उन्हें जो पुकारे जूनून मेरा
धड़क उठे उधर दिल तो
उदास बिस्तर की सिलवटेँ जब तुमको चुभें
न सो सको रात भर तो समझो गजल हुइ
वह बदगुमान हो तो शेर सूझे न शायरी,
वह मेहरबान हो जफ़र तो समझो गजल हुइ
रहे न अपनी ही खबर तो समझो गजल हुइ
मिला के नजरों को वाले हना हया से पी
झुका ले कोइ नजर तो समजो गजल हुइ
इधर मचल-कर उन्हें जो पुकारे जूनून मेरा
धड़क उठे उधर दिल तो
उदास बिस्तर की सिलवटेँ जब तुमको चुभें
न सो सको रात भर तो समझो गजल हुइ
वह बदगुमान हो तो शेर सूझे न शायरी,
वह मेहरबान हो जफ़र तो समझो गजल हुइ
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