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शनिवार, 22 अगस्त 2015

कल

"कल का दिन किसने देखा है, आज का दिन हम खोएँ क्यों,
.
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं, उन घड़ियों में रोएँ क्यों.?"
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