Click Here!

गुरुवार, 27 मार्च 2014

​दिल में अब यूँ तेरे

​दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते है;
​जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते है​;
​​रक़्स-ए-मय तेज़ करो, साज़ की लय तेज़ करो​;​
सू-ए-मैख़ाना सफ़ीरान-ए-हरम आते है​;​
​और कुछ देर न गुज़रे शब-ए-फ़ुर्क़त से कहो ​;​
दिल भी कम दुखता है वो याद भी कम आते है​;​
इक इक कर के हुये जाते हैं तारे रौशन ​;​
मेरी मन्ज़िल की तरफ़ तेरे क़दम आते है​;​
​कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने का दिमाग;
​वो तो जब आते हैं माइल-ब-करम आते है। ​
Categories: ,