भूख वो मुद्दा है जिसकी चोट के मारे हुए
कितने युसुफ बेकफ़न, अल्लाह के प्यारे हुए
हुस्न की मासुमियत की जद में रोटी आ गई
चांदनी की छांव में भी फूल अंगारे हुए
मां की ममता बाप की शफ्कत गरानी खा गई
इसके चलते दो दिलों के बीच बंटवारे हुए
बाहरी रिश्तों में अब वो प्यार की खुशबू नहीं
तल्खियों से जिन्दगी के हाशिए खारे हुए
जीस्त का हासिल यही हक के लिए लड़ते रहो
खुदकुशी मंज़िल नहीं ऐ जीस्त से हारे हुए
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रोने दे आज हमको तू आँखें सुजाने दे बाहों में ले ले और ख़ुद को भीग जाने दे हैं जो सीने में क़ैद दरिया वो छूट जायेगा हैं इतना दर्द के तेरा द...
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कहते हैं की जब कोई किसी को बहुत याद करता हैं तो तारा टूट कर गिरता हैं एक दिन सारा आसमान ख़ाली हो जायेगा ओंर इल्जाम मुझ पर आएगा। *******...
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ख़ुदा महफूज़ रखें आपको तीनों बलाओं से, वकीलों से, हक़ीमों से, हसीनों की निगाहों से। -अकबर इलाहाबादी
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गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते मुँह की एक दिन खाएँगे अग्यार हँसते बोलते थी तमन्ना बाग-ए-आलम में गुल-ओ-बुलबुल की तरह दिल-लगी में हसरत-ए...
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आप की याद आती रही रात भर आप की याद आती रही रात भर चस्मे-नम मुस्कुराती रही रात भर रात भर दर्द की शमा जलती रही गम की लौ थरथराती रही रात भ...
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भूख वो मुद्दा है
भूख वो मुद्दा है जिसकी चोट के मारे हुए
कितने युसुफ बेकफ़न, अल्लाह के प्यारे हुए
हुस्न की मासुमियत की जद में रोटी आ गई
चांदनी की छांव में भी फूल अंगारे हुए
मां की ममता बाप की शफ्कत गरानी खा गई
इसके चलते दो दिलों के बीच बंटवारे हुए
बाहरी रिश्तों में अब वो प्यार की खुशबू नहीं
तल्खियों से जिन्दगी के हाशिए खारे हुए
जीस्त का हासिल यही हक के लिए लड़ते रहो
खुदकुशी मंज़िल नहीं ऐ जीस्त से हारे हुए
कितने युसुफ बेकफ़न, अल्लाह के प्यारे हुए
हुस्न की मासुमियत की जद में रोटी आ गई
चांदनी की छांव में भी फूल अंगारे हुए
मां की ममता बाप की शफ्कत गरानी खा गई
इसके चलते दो दिलों के बीच बंटवारे हुए
बाहरी रिश्तों में अब वो प्यार की खुशबू नहीं
तल्खियों से जिन्दगी के हाशिए खारे हुए
जीस्त का हासिल यही हक के लिए लड़ते रहो
खुदकुशी मंज़िल नहीं ऐ जीस्त से हारे हुए
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